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येना॑ पावक॒ चक्ष॑सा भुर॒ण्यन्तं॒ जनाँ॒ अनु॑ । त्वं व॑रुण॒ पश्य॑सि ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

yenā pāvaka cakṣasā bhuraṇyantaṁ janām̐ anu | tvaṁ varuṇa paśyasi ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

येन॑ । पा॒व॒क॒ । चक्ष॑सा । भु॒र॒ण्यन्त॑म् । जना॑न् । अनु॑ । त्वम् । व॒रु॒ण॒ । पश्य॑सि॥

ऋग्वेद » मण्डल:1» सूक्त:50» मन्त्र:6 | अष्टक:1» अध्याय:4» वर्ग:8» मन्त्र:1 | मण्डल:1» अनुवाक:9» मन्त्र:6


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर वह ईश्वर कैसा है, इस विषय का उपदेश अगले मंत्र में किया है।

पदार्थान्वयभाषाः - हे (पावक) पवित्रकारक (वरुण) सबसे उत्तम जगदीश्वर ! आप (येन) जिस (चक्षसा) विज्ञान प्रकाश से (भुरण्यन्तम्) धारण वा पोषण करते हुए लोकों वा (जनान्) मनुष्यादि को (अनुपश्यसि) अच्छे प्रकार देखते हो उस ज्ञान प्रकाश से हम लोगों को संयुक्त कृपापूर्वक कीजिये ॥६॥
भावार्थभाषाः - परमेश्वर की उपासना के विना किसी मनुष्य को विज्ञान वा पवित्रता होने का संभव नहीं हो सकता इससे सब मनुष्यों को एक पमेश्वर ही की उपासना करनी चाहिये ॥६॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

(येन) वक्ष्यमाणेन (पावक) पवित्रकारकेश्वर (चक्षसा) प्रकाशेन (भुरण्यन्तम्) धरन्तम् (जनान्) मनुष्यादीन् (अनु) पश्चादर्थे (त्वम्) उक्तार्थः (वरुण) सर्वोत्कृष्ट (पश्यसि) संप्रेक्षसे ॥६॥

अन्वय:

पुनः स कीदृशइत्युपदिश्यते।

पदार्थान्वयभाषाः - हे पावक वरुण जगदीश्वर ! त्वं येन चक्षसा विज्ञानप्रकाशेन भुरण्यन्तं लोकं जनाँश्चानुपश्यसि तेन युक्तानस्मान् कृपया संपादय ॥६॥
भावार्थभाषाः - नहि परमेश्वरोपासनेन विना कस्यचिद्विज्ञानं पवित्रता च संभवति तस्मात्सर्वैर्मनुष्यैरेक एवेश्वर उपासनीयः ॥६॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - परमेश्वराच्या उपासनेशिवाय एखाद्या माणसाला विज्ञान व पवित्रता प्राप्त करणे अशक्य आहे. त्यासाठी सर्व माणसांनी एकाच परमेश्वराची उपासना केली पाहिजे. ॥ ६ ॥